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स्त्री सशक्तिकरण
September 15 , 2025
स्त्री जो है ,वो माँ होते हैं , बहन होते है , पत्नी होती है , अर्थाथ विश्व की सबसे बड़ी शक्ति है । जो एक जिन्दगी और परिवार को संहालने में सबसे ज्यादा जिम्मेदारी निभाते हैं । उस स्त्री की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है |आज की इस दुनिया में स्त्री सुरक्षित नहीं है । बस में सवारी करते वक्त , घर में अपने बाप- भाई के साथ या पति के साथ , काम करने जगह , या सार्वजनिक जगह पर वो सुरक्षित नहीं हैं ।
स्त्री सशक्तिकरण का मतलब है महिलओं को सश्कत बनाना और समाज में अपना स्थान दिलाना। सब लोग कह रहे है कि स्त्री और पुरुष को समरूपता है। पर सच में आज भी स्त्री को समानता मिली नहीं है। किसी के हाथ से आज़ादी नहीं हासिल करना है। वो हर एक इंसान के अंतर है। पैदा हुए वक्त से लोग अकेले दुनिया में आ रहे है,आज़ाद है । अपने माँ की पेट से बच्चा आ रही है ।
महिला सशक्तिकरण का मक्सद है कि महिलाओं को आत्म विश्वास देना , आत्म सम्मान देना , आत्म निर्भरता देना । अपने ज़िन्दगी को नियंत्रित करने में सिर्फ अधिकार स्त्री को हो ।भारत सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं चलायी हैं, जैसे कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, महिला छात्रावास योजना, महिला हेल्पलाइन योजना, वन स्टॉप सेन्टर योजना, और स्वाधार गृह योजना.
महिलाओं के योगदान को मान्यता और सम्मान देना।महिलाओं के निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाना महिलाओं को सामाजिक बदलाव लाने में सक्षम बनाना
आदि स्त्री सशक्तिकरण का उद्देश्य है ।महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून, संस्थाएं, और नीतिगत उपायों के ज़रिए काम किया जाता है । स्त्री को सशक्त बनाने में हर एक आदमी को एकता से काम करना चाहिए ।
नारी सशक्तिकरण एक महत्वपूर्ण विषय है, जो केवल एक शब्द तक सीमित नहीं है; बल्कि यह एक ऐसी क्रांति है जो सम्पूर्ण समाज में परिवर्तन ला सकती है। यह ब्लॉग “नारी सशक्तिकरण पर निबंध” इसी मुद्दे पर जानकारी प्रदान करेगा और महिला सशक्तिकरण के गहरे अर्थ को समझने में आपकी सहायता करेगा।
नारी शक्ति” महिलाओं की ताक़त, धैर्य और असाधारण क्षमताओं का प्रतीक है। यह शब्द उनके सशक्तिकरण, समाज में योगदान और जीवन के हर क्षेत्र में उनकी भूमिका को दर्शाता है। 2018 में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने इसे हिंदी का शब्द घोषित किया। यह वाक्यांश उस शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे महिलाएँ अपने जीवन की ज़िम्मेदारी खुद उठाकर अद्भुत उपलब्धियाँ हासिल करती हैं।
महिलाओं को सृजन की शक्ति माना जाता है, यानी मानव जाति का अस्तित्व महिलाओं के कारण ही माना जाता है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ सृजन की इस शक्ति को विकसित और परिष्कृत करना तथा उन्हें सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक न्याय, विचार, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, अवसर की समानता प्रदान करना है।
दूसरे शब्दों में – महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार करना है। ताकि उन्हें रोजगार, शिक्षा, आर्थिक प्रगति के समान अवसर मिल सकें, ताकि वे सामाजिक स्वतंत्रता और प्रगति हासिल कर सकें। यही वह तरीका है जिससे महिलाएं भी पुरुषों की तरह अपनी हर इच्छा पूरी कर सकती हैं।
सरल शब्दों में महिला सशक्तिकरण को इस तरह से परिभाषित किया जा सकता है कि यह महिलाओं में वह शक्ति लाता है, जिसके कारण वे अपने जीवन से जुड़े हर फैसले खुद ले सकती हैं और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती हैं। महिला सशक्तिकरण का मतलब है उन्हें समाज में उनके वास्तविक अधिकार दिलाने में सक्षम बनाना।
महिलाओं की समस्याएँ
- घरेलू हिंसा और अपराध:
- महिलाएँ आज भी घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं। समाज की परंपरागत सोच के कारण यह समस्याएँ अनदेखी रह जाती हैं।
- शिक्षा की कमी:
- ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाती। उन्हें घर के काम या बाल विवाह के लिए मजबूर किया जाता है।
- पितृसत्तात्मक सोच:
- समाज की रूढ़िवादी सोच महिलाओं को उनकी आकांक्षाएँ पूरी करने से रोकती है। परिवार और समाज अक्सर उनकी स्वतंत्रता को सीमित कर देते हैं।
सरकारी प्रयास और सीमाएँ
हालाँकि सरकार ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ जैसी योजनाएँ शुरू की हैं, पर पितृसत्तात्मक सोच और योजनाओं के कमजोर क्रियान्वयन के कारण बदलाव धीमा है।
उपसंहार
महिलाओं को उनकी क्षमताओं का पूरा अवसर देने के लिए सामाजिक सोच बदलनी होगी। नारी सशक्तिकरण केवल महिलाओं का अधिकार नहीं, बल्कि समाज की प्रगति का रास्ता है। जब महिलाएँ स्वतंत्र होंगी, तभी समाज वास्तव में उन्नति करेगा।
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